
History of cellular jail
सेलुलर जेल का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण और दुखद अध्याय से जुड़ा हुआ है। यह जेल भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर दूर अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है। यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी,
जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी, इस जेल को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है।
एक समय था जब भारत पर अंग्रेजों का शासन हुआ करता था, भारत में अंग्रेजों के शासन करने से भारतीयों पर जुल्म होना शुरू हो गए। भारतीयों पर हो रहे जुल्म को देखकर कुछ भारतीयों ने अंगेजी सरकार के खिलाफ जंग करने निकल पड़े। लेकिन वो इस जंग को जीत ना सके,
इसके बाद कई बार भारतीयों ने अंगेजी सरकार के खिलाफ बगावत की लेकिन कोई भी खास फायदा नहीं हुआ। अंग्रेजों ने १०० साल की हकूमत के बाद भारत को पूरी तरह से अपना गुलाम बना लिया था, अंगेजी सरकार को लगने लगा था कि अब सभी भारतीय जिंदगी भर के लिए उनके गुलाम बने रहेंगे और कभी भी आजाद नहीं हो पाएंगे।
फिर १८५७ में एक ऐसी क्रन्ति हुई। जिसने अंगेजी सरकार को भारत छोड़ने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद रोज अंगेजी सरकार को अपने खिलाफ बहुत से आंदोलन देखने को मिलते रहे। इस आन्दोलनों को रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार ने सभी आंदोलन रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार ने एक नई जेल का निर्माण करने की सोची।
फिर 1896 में अंग्रेजी सरकार को एक ऐसी जगह मिली जो भारत से हजारों किलोमीटर दूर थी, और अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में थी। भारत में इस जगह को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है यह जेल १० सालों में बनी, इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था।
सेलुलर जेल का निर्माण:
सेलुलर जेल का निर्माण 1896 में शुरू हुआ था और यह 1906 में पूरा हुआ। इसका डिज़ाइन कुछ इस प्रकार था कि प्रत्येक कोशिका एक दूसरे से पूरी तरह अलग थी, और बंदी को एक-दूसरे से संपर्क करने की कोई भी सुविधा नहीं थी। जेल का मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारियों को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ना था, ताकि वे अपने संघर्ष को छोड़ दें।
अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह है यह जेल। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।
जेल का उद्देश्य:
ब्रिटिश सरकार ने इस जेल को विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए बनवाया था। उन समय के क्रांतिकारी जैसे कि वीर सावरकर, जो कि स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे, उन्हें यहां भेजा गया था। इन सेनानियों को “कालापानी” भेज कर ब्रिटिश सरकार ने यह सोचा था कि ये जेल उन्हें पूरी तरह से तोड़ देगी, लेकिन इसके उलट यह जेल भारतीय राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में उभरी।
वीर सावरकर और सेलुलर जेल:
वीर सावरकर का नाम सेलुलर जेल के इतिहास से जुड़ा हुआ है। उन्हें 1909 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में अंडमान भेज दिया गया। वहां उन्होंने अपनी किताब “The History of the First War of Indian Independence 1857” लिखी, जिसमें उन्होंने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं, लेकिन वे अंततः ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखते रहे।
क्रूर यातनाएं:
सेलुलर जेल में बंदियों को अत्यधिक शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ा। उन्हें लंबी सजा, कठोर श्रम, और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। क्रांतिकारियों को दिन-रात कठिन श्रम में लगाया जाता था, और उन्हें कभी भी एक-दूसरे से मिलने की अनुमति नहीं थी। सजा के रूप में उनका ध्यान भटकाने और उन्हें निराश करने के लिए अत्यधिक कठिन परिस्थितियों का सामना कराया जाता था।
सेलुलर जेल की स्थिति:
समय के साथ जेल की स्थिति बदतर होती गई, और अंततः 1938 में ब्रिटिश शासन ने इसे बंद कर दिया। अब यह जेल एक संग्रहालय के रूप में परिवर्तित हो चुकी है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और बलिदान को समर्पित है।
आधुनिक स्थिति:
आजकल, यह जेल एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर राष्ट्रीय स्मारक और संग्रहालय हैं, जो स्वतंत्रता सेनानियों की संघर्षगाथाओं को जीवित रखते हैं। सेलुलर जेल का एक हिस्सा आज भी संरक्षित है और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है।
सेलुलर जेल के ऐतिहासिक महत्व:
यह जेल न केवल एक भौतिक संरचना है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भावना, क्रांतिकारी संघर्ष और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों की अस्मिता के प्रतीक के रूप में भी पहचानी जाती है। इसे “भारत की शहादत का स्मारक” कहा जा सकता है।
सेलुलर जेल भारतीय इतिहास में एक अनमोल धरोहर के रूप में हमेशा जीवित रहेगा।
जब भारत 1947 को आजाद हुआ तो राजनितिक नेता इसे इतिहास धरोहर के रूप में सुरक्षित रखना चाहते थे। इसीलिए 1969 में इसे राष्ट्रिय स्मारक में परिवर्तित कर दिया गया। 10 मार्च 2006 को जेल ने अपने निर्माण की शताब्दी पूरी की। इस अवसर पर बहुत से प्रसिद्ध कैदियों को भारत सरकार ने सम्मानित किया था।
आज दुनिया भर से लोग इस जेल को देखने जाते है। आज भी ये जेल अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों पर किये गए आत्याचारों की दास्तान सुनती है।
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