कुंभलगढ़ किला
किले की दीवार चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है
कुंभलगढ़ किला (Kumbhalgarh Fort) भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक दुर्ग है, जो अपनी विशाल दीवारों और सामरिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह किला उदयपुर से लगभग 84 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों में स्थित है।
कुंभलगढ़ किला भले ही अपने भव्य इतिहास और सामरिक शक्ति के लिए जाना जाता हो, लेकिन इसके पीछे कुछ रहस्यमयी और डरावनी कहानियाँ भी जुड़ी हैं, जो इसे “भारत के रहस्यमयी किलों” की सूची में भी शामिल करती हैं। ये कहानियाँ ऐतिहासिक घटनाओं, लोककथाओं और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं।
कुंभलगढ़ किले का इतिहास:
निर्माण:
निर्माता: – महाराणा कुम्भा (मेवाड़ के शासक)
निर्माण काल: -15वीं शताब्दी (लगभग 1443 ई. में शुरू हुआ और 1458 ई. तक पूरा हुआ)
यह किला राजा कुम्भा द्वारा बनवाया गया, जिनके शासनकाल में मेवाड़ राज्य ने अपने चरम पर सामरिक विस्तार किया।
इसे वास्तुकला के प्रसिद्ध शिल्पकार मंडन ने डिज़ाइन किया था।
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ऐतिहासिक महत्व:
कुंभलगढ़ को मेवाड़ की दूसरी राजधानी के रूप में विकसित किया गया था (पहली चित्तौड़गढ़ थी)।
इस किले ने कई युद्धों में मेवाड़ के शासकों को शरण दी।
महाराणा प्रताप का जन्म इसी किले में हुआ था (1540 ई.)।
यह किला शत्रुओं के लिए लगभग अजेय रहा, इसे जीतना बेहद मुश्किल था।
प्रमुख आक्रमण:
हालांकि यह किला बहुत बार घिरा गया, परन्तु एकमात्र बार जब यह जीता गया, वह था:
अकबर के सेनापति शाहबाज़ खान द्वारा (1576 ई.)।
यह जीत भी किले के जल स्रोत को विषाक्त करने की रणनीति के तहत संभव हुई थी।

वास्तुकला और विशेषताएं:
किले की दीवारें लगभग 36 किलोमीटर लंबी हैं — यह चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है।
दीवार की मोटाई लगभग 15 फीट है।
किले के भीतर लगभग 360 मंदिर हैं — जिनमें 300 से अधिक जैन मंदिर हैं और शेष हिन्दू मंदिर।
ऊंचाई पर स्थित मुख्य महल को “बादल महल” कहते हैं, जहाँ से आसपास के जंगलों और पहाड़ियों का सुंदर दृश्य दिखता है।
कुंभलगढ़ किला न केवल अपनी ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी वास्तुकला (Architecture) भी अत्यंत अद्वितीय और प्रभावशाली है। इसे राजस्थान के सबसे भव्य और मजबूत किलों में गिना जाता है। किले की बनावट, सुरक्षा प्रणाली, मंदिरों और दीवारों का निर्माण इसे विशेष बनाता है।
कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला और विशेषताएं
1. रक्षा प्रणाली और विशाल दीवारें
किले की सबसे उल्लेखनीय विशेषता इसकी दीवारें हैं।
दीवार की लंबाई लगभग 36 किलोमीटर है — इसे “भारत की ग्रेट वॉल” भी कहा जाता है।
यह दीवार दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है (चीन की दीवार के बाद)।
दीवार की मोटाई लगभग 15 फीट है — इतनी चौड़ी कि उस पर 8 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं।
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2. स्थान और ऊंचाई
यह किला अरावली पर्वतमाला की ऊँची पहाड़ियों पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 1100 मीटर (3600 फीट) है।
इस ऊँचाई के कारण किले से दुश्मन को बहुत पहले देखा जा सकता था और सुरक्षा मजबूत बनी रहती थी।
3. मंदिरों की भरमार
किले के अंदर लगभग 360 मंदिर हैं:
300 जैन मंदिर (प्राचीन जैन स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण)
60 हिन्दू मंदिर (विशेष रूप से शिव और विष्णु के)
प्रमुख मंदिरों में से एक है नीलकंठ महादेव मंदिर, जिसमें एक विशाल शिवलिंग स्थापित है।

4. बादल महल (Badal Mahal)
बादल महल किले के सबसे ऊपरी हिस्से में बना हुआ है।
यह महल मुख्य रूप से राजपरिवार के शाही निवास के रूप में इस्तेमाल होता था।
इसे दो भागों में बाँटा गया है: मर्दाना महल (पुरुषों के लिए) और जनाना महल (महिलाओं के लिए)।
इसमें चित्रकारी, रंगीन कांच की खिड़कियाँ और उत्कृष्ट राजपूत शैली की नक्काशी देखने को मिलती है।
5. निर्माण शैली
कुंभलगढ़ किला राजपूत स्थापत्य शैली का एक बेहतरीन उदाहरण है।
इसमें चूना पत्थर, बलुआ पत्थर और स्थानीय पत्थरों का उपयोग हुआ है।
इसकी बनावट ऐसे की गई है कि यह दुश्मनों के लिए प्रवेश करना लगभग असंभव था।
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6. प्रवेश द्वार (गेट्स / पोल)
किले में कई भव्य द्वार हैं, जिन्हें “पोल” कहा जाता है:
हनुमान पोल
राम पोल (मुख्य द्वार)
आरेठ पोल
ये द्वार न केवल रक्षा के लिए बनाए गए थे, बल्कि उन पर सुंदर नक्काशी भी की गई है।
7. दृश्य और स्थानिक योजना
किले की ऊँचाई से आसपास के पहाड़, जंगल और गांवों का सुंदर दृश्य दिखता है।
रणनीतिक रूप से बनाए गए बुर्ज (Watch Towers) और झरोखे (Balconies) से निगरानी की जाती थी।
विशेषता:-
दीवार – 36 किमी लंबी, 15 फीट चौड़ी
ऊँचाई – 1100 मीटर (3600 फीट)
मंदिर – लगभग 360 (जैन और हिन्दू)
महल बादल महल – शाही निवास
द्वार – हनुमान पोल, राम पोल आदि
शैली राजपूत वास्तुकला, मजबूत किला प्रणाली
दृश्यता ऊँचाई से 20-25 किमी दूर तक दुश्मन को देखा जा सकता था

UNESCO विश्व धरोहर:
2013 में कुंभलगढ़ किला, चित्तौड़गढ़, रणथंभौर और अन्य किलों के साथ “राजस्थान के हिल किलों” (Hill Forts of Rajasthan) के रूप में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
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कुंभलगढ़ किले की डरावनी सच्चाइयाँ और रहस्य:
1. मानव बलि का रहस्य:
कुंभलगढ़ किले का निर्माण जब शुरू हुआ, तो बार-बार दीवारें गिर जाती थीं। राजा कुम्भा ने कई प्रयास किए, लेकिन किला बन ही नहीं पा रहा था।
तब एक साधु (धार्मिक तपस्वी) ने भविष्यवाणी की कि किले की नींव तभी टिकेगी जब किसी व्यक्ति की स्वेच्छा से बलि दी जाएगी।
एक राजपुरोहित (या संत) ने खुद को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया।
उसकी कटि (कमर) पर किला बनाया गया, और जहाँ उसका सिर गिरा, वहाँ मुख्य द्वार हनुमान पोल बनाया गया।
यह घटना आज भी लोगों के मन में डर और रहस्य का कारण बनी हुई है।
2. रात में अजीब घटनाएँ:
स्थानीय लोगों का मानना है कि किले में रात के समय अजीब आवाजें, चोटियों की गूंज, और धुंधली परछाइयाँ दिखाई देती हैं।
कुछ पर्यटकों ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने रात के समय घोड़े की टापों की आवाजें और अनजानी आहटें सुनी हैं, जबकि किला उस समय पूरी तरह खाली होता है।
3. भूत-प्रेत की कहानियाँ:
स्थानीय गाइड और ग्रामीण मानते हैं कि किले में कुछ अधूरी आत्माएँ हैं, विशेष रूप से युद्धों में मारे गए सैनिकों और बलि चढ़े व्यक्ति की आत्मा।
बादल महल के पास कुछ कमरों को “शापित क्षेत्र” कहा जाता है, जहाँ लोग रुकने से डरते हैं।
4. नियमित पूजा और तंत्र क्रियाएं:
किले के कुछ हिस्सों में आज भी तांत्रिक पूजा की जाती है, ताकि उन आत्माओं को शांत रखा जा सके।
कुछ पुजारियों का कहना है कि यदि यह अनुष्ठान बंद हो जाए, तो किले में नकारात्मक ऊर्जा फैल सकती है।
5. रात को ठहरने की अनुमति नहीं:
सरकारी नियमों के अनुसार, पर्यटकों को शाम के बाद किले में रुकने की अनुमति नहीं है।
कारण: सुरक्षा के साथ-साथ रहस्यमयी गतिविधियाँ।
क्या ये डरावनी बातें सच हैं?
इन घटनाओं का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन लोकविश्वास और स्थानीय कहानियाँ इन्हें रहस्यमयी और भयावह बनाती हैं।
भारत के कई प्राचीन किलों की तरह, कुंभलगढ़ भी इतिहास और रहस्य का अद्भुत मिश्रण है।
रहस्यमयी पहलू
मानव बलि – किले की नींव के लिए एक साधु का सिर काटा गया
परछाइयाँ – रात में अजीब गतिविधियों की रिपोर्ट
भूत-प्रेत – आत्माओं की कहानियाँ, विशेषकर बलिदान की
नियम – रात में ठहरने की अनुमति नहीं
नोट– कुंभलगढ़ किला के बारे में आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट बॉक्स में हमें ज़रूर बताएँ। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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