tracking In search of heights

ट्रैकिंग वो नहीं जो तुम सोचते हो… ये उससे कहीं ज़्यादा है

 

पहाड़ों के बारे में सुनता था, पर कभी महसूस नहीं किया था।
मेरे लिए ट्रैकिंग सिर्फ एक एडवेंचर था — एक टिक मार्क लिस्ट में से एक और काम। फोटो खिंचवाना, स्टोरी लगाना, और लौट आना।

लेकिन जब मैंने पहली बार ट्रैकिंग की — वो भी विंटर में — मुझे समझ आया कि मैं जिस चीज़ से भाग रहा था, वो मुझे पहाड़ों में मिलनी थी… मैं खुद।

 

ठंड से कांपती रात और एक सोच

उस रात का तापमान माइनस में था। नींद आंखों से दूर थी, और थकान पूरे शरीर में बस गई थी।
पर सबसे ज़्यादा बेचैनी मन में थी — “मैं यहां क्यों आया हूँ?”
“क्या ये सब करने की ज़रूरत थी?”
“क्या मैं अगले दिन चढ़ाई पूरी कर पाऊंगा?”

 

चारों ओर घुप्प अंधेरा था, बस एक छोटा सा टेंट और दूर-दूर तक बर्फ।

और वहीं, उस सन्नाटे में —
मैंने पहली बार खुद से बात की।

 

 

You Keep Doubting Yourself Because, You’re Still Trying to Be Loved,

 

 

हर कदम, एक सवाल… हर मोड़, एक जवाब

अगली सुबह जब ट्रैक की चढ़ाई शुरू की, तो हर कदम शरीर से नहीं — जज़्बे से उठ रहा था।

 

कोई रास्ता आसान नहीं था, और कोई भी आवाज़ आपको पीछे आने को नहीं कह रही थी।

 

सिर्फ एक चीज़ थी — आप और आपकी चुप्पी।

 

वो रास्ता सिखा रहा था कि कैसे दर्द में भी शांति होती है, कैसे ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए अकेले चलना पड़ता है।

 

वो नज़ारा सिर्फ आँखों से नहीं देखा जाता…

जब टॉप पर पहुँचा — वो नज़ारा किसी फोटो से बयां नहीं हो सकता।

वो सिर्फ दृष्टि से नहीं, भावना से देखा जाता है।
वो ठंडी हवा, वो सूरज की हल्की किरणें, वो शांत बर्फ…
जैसे कह रही थीं —

“अब तुम बदल गए हो।”

 

नतीजा?

अब मुझे लगता है —
ट्रैकिंग एक एडवेंचर नहीं, एक आईना है।
जो आपको दिखाता है —
तुम कौन हो जब कोई तुम्हें देख नहीं रहा।

इसलिए कहता हूँ —

“ट्रैकिंग वो नहीं जो तुम सोचते हो…
ये उससे कहीं ज़्यादा है।”

 

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जब लोग पहली बार ‘ट्रैकिंग’ शब्द सुनते हैं, तो ज़्यादातर का ख्याल होता है:

पहाड़ चढ़ना

थकान और पसीना

इंस्टा के लिए कुछ फोटो लेना

बस एक एडवेंचर या फिटनेस एक्टिविटी

यानी — इसे एक physical activity या शौक़ समझा जाता है।

“…ये उससे कहीं ज़्यादा है”

 

लेकिन जो लोग वाक़ई ट्रैकिंग कर चुके हैं, ख़ासकर विंटर ट्रैकिंग जैसी कठिन यात्राएं — वो जानते हैं कि:

1. यह मानसिक शक्ति की परीक्षा है

थकान, ठंड, और अनिश्चित मौसम के बीच खुद को संभालना

डर और हार मानने के ख्याल को हराना

यह बताता है कि हम सोचते हैं उससे कहीं ज़्यादा सहन कर सकते हैं

 

2. यह आत्म-अन्वेषण है (Self-Discovery)

जब रास्ता कठिन होता है और कोई शॉर्टकट नहीं होता, तब हम खुद से बातें करते हैं

हम अपनी लिमिट्स को पहचानते हैं

और कई बार… खुद को नया पाते हैं

 

3. प्रकृति से जुड़ाव

हम महसूस करते हैं कि पहाड़ों के सामने हम कितने छोटे हैं — और फिर भी कितने मजबूत

बर्फ की शांति, हवा की आवाज़, और आसमान की नीरवता — ये सब हमें ‘अब और यहाँ’ में जीना सिखाते हैं

 

4. छोटे-छोटे पलों की अहमियत

वो गरम चाय की एक चुस्की

किसी अनजान साथी से मिली मदद

सूरज की एक किरण जब वो बर्फ पर पड़ती है

यही छोटे-छोटे लम्हे जीवन का असली सार बन जाते हैं

 

5. ट्रैकिंग एक कहानी बन जाती है

ये सिर्फ एक ट्रिप नहीं होती —
यह एक कहानी बन जाती है
जिसे आप खुद जीते हैं, और फिर सालों तक सुनाते हैं।

 

इस टाइटल का सार:

“ट्रैकिंग एक बाहरी यात्रा जितनी नहीं, उतनी ही एक अंदर की यात्रा भी है।
यह शरीर की थकान से शुरू होकर आत्मा की गहराइयों तक जाती है।”

 

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“ट्रैकिंग क्यों करनी चाहिए?” — इसका जवाब सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई पहलुओं से जुड़ा हुआ है। ट्रैकिंग सिर्फ एक एडवेंचर नहीं, बल्कि एक जीवन अनुभव (life experience) है जो शरीर, मन और आत्मा — तीनों को छूता है।

 

मानसिक शांति और स्ट्रेस से राहत

ट्रैकिंग आपको प्रकृति के बीच ले जाती है — दूर शोरगुल और स्क्रीन से।

पहाड़ों में चलना, साफ हवा में सांस लेना, और हरियाली देखना मानसिक थकावट दूर करता है।

यह एक तरह की मेडिटेशन जैसा असर करता है।

 

2. फिज़िकल फिटनेस बढ़ती है

ट्रैकिंग एक बेहतरीन फुल-बॉडी वर्कआउट है:

पैर मजबूत होते हैं

स्टैमिना (सहनशक्ति) बढ़ती है

हार्ट और फेफड़ों की हेल्थ सुधरती है

जो लोग जिम नहीं पसंद करते, उनके लिए ये फिट रहने का नेचुरल तरीका है।

 

3. प्रकृति से जुड़ाव महसूस होता है

सूर्योदय-सूर्यास्त देखना, नदी का बहाव सुनना, बर्फ या हरियाली को महसूस करना — ये सब आपको प्राकृतिक जीवन के करीब लाते हैं।

इससे इंसान का कृतज्ञता भाव (gratitude) बढ़ता है — कि जीवन में कितनी सुंदर चीज़ें हैं जो हम रोज़ नहीं देखते।

 

4. सेल्फ-अवेयरनेस और आत्म-विश्वास बढ़ता है

जब आप खुद के दम पर कठिन रास्तों को पार करते हैं, ऊंचाइयों तक पहुँचते हैं, तब आपको अपने अंदर की ताक़त का अंदाज़ा होता है।

डर, थकान, और सीमितताओं को पार करना — ये सब आपकी mental strength को बढ़ाते हैं।

 

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5. नए लोग, नए अनुभव

ग्रुप ट्रैकिंग में आपको अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग मिलते हैं।

टीमवर्क, दूसरों की मदद करना और साथ में चुनौतियों को पार करना — ये सब एक positive social experience बनाते हैं।

 

6. डिजिटल डिटॉक्स का बेहतरीन तरीका

ज़्यादातर ट्रैकिंग जगहों पर मोबाइल नेटवर्क नहीं होता – और यही सबसे बड़ी राहत होती है।

आपको खुद से और अपने आसपास की दुनिया से जुड़ने का मौका मिलता है।

 

7. खुद को “रीसेट” करने का तरीका

जब आप रोज़ की भागदौड़ से थक जाएं, ट्रैकिंग एक तरह का “रीसेट बटन” है।

वापस आकर आप तरोताजा, मोटिवेटेड और ज़्यादा क्लियर माइंड के साथ जीवन देख पाते हैं।

 

संक्षेप में:

ट्रैकिंग हमें याद दिलाती है कि –
जीवन सिर्फ मंज़िल नहीं, बल्कि सफ़र भी है।
और पहाड़ों पर चलकर ही असली ऊँचाई का अनुभव होता है।

 

 

विंटर ट्रैकिंग के लिए कपड़े और गियर की पूरी लिस्ट: 

लेयरिंग – यह सबसे ज़रूरी है
 Base Layer (इनर थर्मल लेयर)

गर्म और पसीना सोखने वाला इनर (ऊपर और नीचे दोनों)

Merino wool या synthetic thermal इनर बेहतर रहेगा (cotton से बचें – यह गीला होकर ठंडा कर देता है)

 

 

 

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Mid Layer

फ्लीस जैकेट या हल्का डाउन जैकेट (इंसुलेशन के लिए)

ऊनी स्वेटर या हुडी भी काम कर सकती है, पर हल्की और गर्म होनी चाहिए

 

Outer Layer

Windproof और Waterproof जैकेट (जैसे हार्डशेल या स्नो जैकेट)

बर्फ, बारिश और हवा से बचाने के लिए ज़रूरी

 

लोअर (पैंट्स / बॉटम्स)

इनर थर्मल पैंट

उस पर ट्रैकिंग पैंट या वाटरप्रूफ पैंट (snow pants बेहतर है बर्फ वाले इलाकों में)

जीन्स ना पहनें — यह गीली होने पर बहुत भारी और ठंडी हो जाती है

 

Accessories (बहुत जरूरी!)

आइटम क्यों ज़रूरी है
टोपी (Woolen Cap / Balaclava) सिर और कानों को ठंडी हवा से बचाने के लिए

स्कार्फ या नेक वार्मर गर्दन और चेहरे को ढकने के लिए

दस्ताने (Gloves) इंसुलेटेड, वाटरप्रूफ और फुल कवरेज दस्ताने – एकदम जरूरी

ऊनी मोजे (Woolen Socks) पैरों को गर्म रखने के लिए – एक्स्ट्रा जोड़ी जरूर ले जाएं

सनग्लासेस बर्फ में सनलाइट रिफ्लेक्ट होती है, जिससे आंखों को नुकसान हो सकता है (Snow Blindness)

सनस्क्रीन और लिप बाम सर्दियों में स्किन सूख जाती है + UV एक्सपोजर होता है

 

 

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ट्रैकिंग शूज़

Waterproof, High-Ankle ट्रैकिंग शूज़ जरूरी हैं

 

बर्फ और कीचड़ में पैर सूखे और गर्म रखने के लिए

 

अच्छी ग्रिप और मजबूत sole होना चाहिए

 

 

बैकपैक में क्या रखें

एक्स्ट्रा कपड़े की लेयर (अगर कोई गीला हो जाए तो बदल सकें)

 

रेन कवर (बैग के लिए)

 

हॉट पैड्स (Hand Warmers / Foot Warmers)

 

हेडलैम्प (टॉर्च से बेहतर)

 

पानी की बोतल (गर्म पानी ले जाना बेहतर है)

 

स्नैक्स (Dry fruits, energy bars, चॉकलेट)

 

Extra Tips:

कपड़ों को “हल्का लेकिन गर्म” रखने की कोशिश करें (ज्यादा भारी कपड़े चढ़ाई में मुश्किल कर सकते हैं)

 

ट्रैकिंग से पहले अपने शूज़ पहनकर चलने की प्रैक्टिस कर लें (blisters से बचाव)

 

शरीर को हाइड्रेट रखें — ठंड में प्यास नहीं लगती पर पानी ज़रूरी है

 

 

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